आज रवीश कुमार के कुछ ब्लॉग्स पढ़े, मन किया कि मै भी कुछ लिखू । एक ऐसी अपनी जगह हो जहा इकठ्ठा कर सकू कुछ अपनी बाते और कुछ दुसरो से सुनी हुई ...कुछ ऐसी बाते दिनको पढ़ के पुरानी यादे ताज़ा हो जाए । बहुत पहले कालेज में ब्लॉग लिखा करता था फिर पता नहीं कब इतना व्यस्त हो गया कि बंद कर दिया । देखते है इस बार कितना समय निकाल पाते है ।
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